प्रीति हमारी प्रीति हमारी
प्रीति हमारी (चौपाई)
प्रीति हमारी घर-घर जाये।
नतमस्तक हो शीश झुकाये।।
पढ़ कर सब को पत्र सुनाये।
अपने दिल की बात बताये।।
सब से करे यही बस याचन।
पालन करें सभी अनुशासन।।
प्रीति नियम का हो अब पालन।
नियमित प्रेम योग का आसन।।
बढ़े परस्पर प्रीति निरन्तर।
दिल से प्रीति पाठ हो सुंदर।।
सहज भाव का नित्य जागरण।
दिखे सब जगह प्रेम -आवरण।।
प्रीति! बहो मधु सरिता बनकर।
मधुर गीतिका कविता बनकर।।
रच मोहक आकृति की जगती।
प्रेममयी हो सारी धरती।।
Gunjan Kamal
17-Dec-2022 05:12 PM
बहुत सुंदर
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